हर किसी के जीवन में कभी न कभी एक ऐसा दौर जरूर आता है जब इंसान टूट जाता है चाहे उसका कारण असफ़लता का सामना करना या फिर परिवार मे कुछ गलत होना इत्यादि कुछ भी हो ऐसे मे कुछ लोग इसका सामना कर निजाद पा लेते हैं और बाकि इसी को अपना लेते है, जो लोग सफल होते है उनमें ऐसी क्या खास बात होगी जिससे उनको सफ़लता प्राप्त होती है उन लोगों में सिर्फ प्रेरणादायी सोच का अन्तर होता है और इन्ही प्रेरणादायी सोच से प्रेरणादायी कविताओं का जन्म हुआ कुछ महान कवियों द्वारा हमारे लिए प्रेरणादायक कविताएं लिखी गयी है इनमे से सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कविताओं (Best Motivational Poems) का एक सँग्रह बनाया गया हैं जो आज इस लेख में आपके सामने प्रस्तुत किया गया है ताकि आप असफ़लता से हार न मान ले बल्कि उसका सामना करे।
बिषय सूची
सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कविताएँ (Best Motivational Poems in Hindi) –
Pushp ki Abhilasha Motivational Poem
पुष्प की अभिलाषा


चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के शिर पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
– माखनलाल चतुर्वेदी – Makhanlal Chaturvedi
हौसला
Hosla Motivational Poem


पानी का बुलबुला नही
तू झरना बन
स्वीकार कर हर चुनौती
तू आगे बढ
न देख मूँह किसी का
खुद का यकीन कर
भटक मत जिन्दगी में
नजर मंजिल पर रख
सपनो पर न पहरा लगा
खुली आंख से देखने की जुर्रत कर
फिसलने न दे खुद को पाप में
इन इच्छाओं पर अंकुश रख
पाई है मुश्किल से जिन्दगी
इन्सानियत की मिशाल बन
होगी पूरी हर तमन्ना
थोडा ढाढस रख
– राशि सिंह | Rashi Singh (उत्तर प्रदेश)
मंजिल
Manjil Motivational Poem


बढ़ता चल तू ऐ मुसाफिर
मंजिल तेरे निकट होगी
हौसला रख दिल में अपने
ख्वाहिशे तेरी पूरी होगी
संकल्प ले यदि मन में अपने
उत्साह कभी ना कम होंगे
बढ़े थे, बढ़े हैं और बढ़ते रहेंगे
हर बेडी़यो को तोड़ते रहेंगे
अगर दूर दिखती हो तेरी मंजिल
सब्र कर तू कभी गम ना कर
झोपड़ी से महल यदि है तुझको बनाना
तो कोशिश को अपने कभी कम ना कर
बड़ा चल बड़ा चल तू हर क्षण बढ़ा चल
तेरी मंजिल मिलेगी कभी ना कभी
विश्वास रख तू खुदा पर अपने
ख्वाइश तेरी पूरी होगी
बढ़ता चल तू ऐ मुसाफिर
मंजिल तेरे निकट होगी
– कंचन पाण्डेय ( उत्तर प्रदेश )
क्यों डरता है
Kyo darta hai Motivational Poem


कोने में बैठ कर क्यों रोता है,
यू चुप चुप सा क्यों रहता है।
आगे बढ़ने से क्यों डरता है,
सपनों को बुनने से क्यों डरता है।
तकदीर को क्यों रोता है,
मेहनत से क्यों डरता है।
झूठे लोगो से क्यों डरता है,
कुछ खोने के डर से क्यों बैठा है।
हाथ नहीं होते नसीब होते है उनके भी,
तू मुट्ठी में बंद लकीरों को लेकर रोता है।
भानू भी करता है नित नई शुरुआत,
सांज होने के भय से नहीं डरता है।
मुसीबतों को देख कर क्यों डरता है,
तू लड़ने से क्यों पीछे हटता है।
किसने तुमको रोका है,
तुम्ही ने तुम को रोका है।
भर साहस और दम, बढ़ा कदम,
अब इससे अच्छा कोई न मौका है।
हौसला मत छोड़ना
Hosla mat chodna Motivational Poem


जब भी तेरी आश छूटे, साथ छूटे, तू भी टूटे,
लेकिन कभी हौसला मत छोड़ना।
लोग दिल भी दुखायेगें, ठेस भी पहुचायेंगे,
लेकिन हौसला मत छोड़ना।
तेरी नईया पार हो ही जाएगी गिरते उभरते,
लेकिन कभी हौसला मत छोड़ना।
उन रिश्तों को कभी न तोड़ना,
जो रास्ते मे तेरा साथ देते है।
सफर तो कैसे भी पार हो ही जायेगा कोशिश करना,
लेकिन हौसला मत छोड़ना।
जिंदगी में सब कुछ किताबें ही नही सिखातीं है,
कुछ बातें ज़िन्दगी भी सिखाती है।
मुश्किले रास्ते में आना लाज़मी है,
लेकिन कभी हौसला मत छोड़ना।
जिंदगी तुझे रोकेगी, टोकेगी, लोग भी तुझ पर हसेंगे,
लेकिन तू हौसला मत छोड़ना।
जब भी तेरी आश छूटे, साथ छूटे, तू भी टूट
लेकिन कभी हौसला मत छोड़ना।
– भाष्कर मेहता | Bhashkar Mehta
सब जाग रहे तू सोता रह
Sab jaag rahe tu sota rah Motivational Poem


सब जाग रहे तू सोता रह
किस्मत को थामें रोता रह
जो दूर है माना मिला नही
जो पास है वो भी खोता रह।
लहरों पर मोती चमक रहे
झोंके भी तुझ तक सिमट रहे,
न तूफान कोई आने वाला
सब तह तक गोते लगा रहे,
लहरें तेरी क़दमों में हैं
तू नाव पकड़ बस रोता रह।
सब जाग रहे तू सोता रह..
सब जाग रहे तू सोता रह।
धुप अभी सिरहाने है
मौसम जाने पहचाने है,
रात अभी तो घंटों है
बस कुछ पल दूर ठिकाने है,
इतनी दूरी तय कर आया
दो पग चलने में रोता रह।
सब जाग रहे तू सोता रह..
सब जाग रहे तू सोता रह।
माना कि मुश्किल भारी है
पर तुझमें क्या लाचारी है,
ये हार नही बाहर की है
भीतर से हिम्मत हारी है,
उठ रहे यहाँ सब गिर गिरकर
न उठ तू यूं ही लेटा रह।
सब जाग रहे तू सोता रह..
सब जाग रहे तू सोता रह।
– कवि संदीप द्विवेदी | Sandeep Dwivedi
मैंने कुछ ऐसे सोचा है


भीगती आँखों से जब
उम्मीदें बहने लगे,
सब तरफ से हार जब
सब्र को ढकने लगे,
फिर भी आँखें मूंदकर
क्यूँ न लम्बी सांस भर,
उम्मीद को बहने न दूं..
सब्र को थमने न दूं..
मैंने कुछ ऐसा सोचा है।
जब कोई अजीज़ अपना
छोड़ कर जाने लगे
वक्त की मनमानियां
हर वक्त तडपाने लगे
क्यूँ न अपनी भूल पर
क्यूँ न सबकुछ भूलकर
दुनिया को समझा करूँ
वक्त से लड़ता रहूँ
मैंने कुछ ऐसा सोचा है।
बह रही उलटी हवाएं
बहें ये कब तक बहेंगी
देखता हूँ मैं भी अब
भिडें ये कितना भिड़ेंगी
जब मुझे चलना ही है
लक्ष्य पर बढना ही है
तो मैं ऐसे राह पर
क्यूँ रुकूँ मैं क्यूँ थमूं
मैंने कुछ ऐसा सोचा है।
मैं समुंदर की लहर हूँ
नहीं कोई सीपी मोती
कौन पथ दुर्गम मुझे है
किसने मेरी राह रोकी
लाख सीपी पालता हूँ
पत्थरों को ढालता हूँ
तो इन उछलती नाव से
मैं क्यूँ छिपूं मैं क्यूँ छिपूं
मैं कुछ ऐसा सोचा है।
– कवि संदीप द्विवेदी | Sandeep Dwivedi
केवल साँसों से जीवित हो


क्या औचित्य यहां आने का
अपने मन से क्या कुछ पूछा
पथ में थक कर डेरे डाले
स्वयं ने तेरे स्वयं को लूटा
हाथ हटा अन्तरआंखों से
देख छिपे वो चित्र अदेखे
उम्मीद कभी उम्मीद न खोती
खोते तो विश्वास को तुम हो
क्या यूं ही थे जो अब तुम हो
लेकर पूर्व मलिन गाथाएं
अश्रु आवरित करते सृष्टि
चुप कर देते हो औरों को
मुख पर रखकर विकट परिस्थिति
व्यथा कथा का बिगुल बजा
खुद पर हंसते या रोते हो
व्यर्थ में घेरे जीवन तुम
केवल सांसो से जीवित हो
हैं भरी पड़ी आशाएं जग में
तुम पर है चुनते क्या तुम हो
क्या यूं ही थे जो अब तुम हो
हारा टूटा पर रुका नही
संघर्ष किया तब जग जीता
पग रखे बिना ही धरती पर
बोलो किसने उड़ना सीखा
जीवन तेरा अधिकार करो
न व्यर्थ समय बरबाद करो
एक दिशा चुनों और जुट जाओ
प्रेरक जीवन तैयार करो
कदम सुदृढ़ है हर पथ पर
दुर्बल तो अपने सोच से तुम हो
– कवि संदीप द्विवेदी | Sandeep Dwivedi
मैं किसी की सुनता नही हूँ
Main kisi ki sunta nahi hun Motivational Poem


तुम हर तरफ कांटे बिछा दो
कोई बड़ी अड़चन लगा दो
जो राह मैने थाम ली
बिन तय किये रुकता नही हूँ,
सपनों की जब बात हो
मैं किसी की सुनता नही हूँ।
मेरा हारना तय है
तुम्हारा जीतना
ऊंचाइयां तेरी हैं
मेरा टूटना
लेकिन एक बात भी
मेरे लिए मत भूलना
खेले बिना ही खेल में
हथियार में रखता नही हूँ
मैं किसी की सुनता नही हूँ।
सच है पूरी उम्र भर
हासिल नही कुछ भी किया है
पर सुना है पाता वही है
जिसने सबकुछ खो दिया है
हारने के डर न कर
क्या हारना क्या जीतना
मंजिल मुझे मिल जाएगी ही
मैं अगर थमता नही हूँ।
किस्मत कहां तक साथ देगी
तुम अगर बैठे रहोगे
लिखा था जो मिल गया
बेवजह रटते रहोगे
जो नही देखा कोई
उन कागजों को तुम सम्भालो
रास्ते में ढालता हूँ
मैं रास्ते चुनता नही हूँ,
मैं किसी की सुनता नही हूँ।
– कवि संदीप द्विवेदी | Sandeep Dwivedi
दोस्तों, मैं आशा करता हु की आपको यह प्रेरणादायक कविता (Motivational Poems) पसंद आयी होंगा, और सभी कविताएँ आपको प्रेरणादायक लगी होगी और इन कविताओं से आपको प्रेरणा भी मिलीं होंगी। मैं आपके लिए आगे कुछ और चुनिन्दा कविताएँ लेकर आऊंगा।
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Nice work ..need something like this in my leisure time..
ThanQ ….